शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने तीनो पार्टियों की याचिका पर केंद्र सरकार , महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कल सुबह 10.30 बजे तक संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है । अब सुनवाई कल तक के लिए टल गई है।
कल 10:30 बजे फिर इस मामले में सुनवाई होगी। शिवसेना की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राष्ट्रपति शासन हटाए जाने का मुद्दा उठाया उन्होंने कहा बिना मंत्रिमंडल की बैठक के राष्ट्रपति शासन कैसे हटा दिया । उन्होंने देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार के शपथ को असंवैधानिक कहा। उन्होंने राज्यपाल पर भी केंद्र सरकार के निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाया। शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से आज ही (रविवार) सदन में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया। पर कोर्ट ने सभी पक्षों को कल तक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। वही बीजेपी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले को मुंबई हाई कोर्ट में दाखिल करना चाहिए।
वही केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तुत हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिवसेना-एनसीपी -कांग्रेस को सरकार बनाने का मौलिक अधिकार नहीं है और उनकी याचिका को रद्द कर देना चाहिए । कोर्ट ने उनसे राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन हटाने वाले पत्र को भी कोर्ट में पेश करने को कहा है।
मामले की सुनवाई तीन जजों के बैंच कर रही है जिसमे न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल है। रोहतगी ने कहा कि कोई राजनीतिक पार्टी मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकती । दूसरी तरफ सिंघवी ने उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार की बर्खास्तगी जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि सदन में शक्ति परीक्षण ही सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने ये भी कहा कि कर्नाटक मामले में भी कोर्ट ने शक्ति परीक्षण करने का आदेश दिया गया था । अब सभी को कल सुबह 10:30 बजे का इंतजार है जब इस मामले की सुनवाई कोर्ट में होगी।